रात का इरादा है
यूँही साथ बैठे बीत जाने का
दिन के इरादे पता नही
कल जाने ये दिन होगा भी या नही
रात का इरादा है
सहरा में बैठे चाँद निहारते रहने का
दिन बेचैन है
कल के ठिकाने के ख्याल से झूंझते
रात का इरादा है
हौले हौले चलते, परबत की दूसरी ज़ानिब जाने का
दिन की आँखों में नींद है गहरी
अब सोये तो न जाने फिर कब उठे
रात का इरादा
कभी नेक, कभी फरेब, कभी शोख़ी से इतराने का
दिन साकित
गुमसूम, किसी बंद कमरे का मेहमां
रात इरादों की गिरफ़्त में
आज़ादी से अफलाकों में टहलती है
दिन अफ़सुर्दा
फ़लक से मुख़्तसर सी मुलाक़ात को तरसता है
ये रात इरादों की रात है
इस रात की अब कोई सुबह नहीं
दिन राहगीर, मंज़िल है जिसको नसीब
इस दिन का अब कोई सफर नही
यूँही साथ बैठे बीत जाने का
दिन के इरादे पता नही
कल जाने ये दिन होगा भी या नही
रात का इरादा है
सहरा में बैठे चाँद निहारते रहने का
दिन बेचैन है
कल के ठिकाने के ख्याल से झूंझते
रात का इरादा है
हौले हौले चलते, परबत की दूसरी ज़ानिब जाने का
दिन की आँखों में नींद है गहरी
अब सोये तो न जाने फिर कब उठे
रात का इरादा
कभी नेक, कभी फरेब, कभी शोख़ी से इतराने का
दिन साकित
गुमसूम, किसी बंद कमरे का मेहमां
रात इरादों की गिरफ़्त में
आज़ादी से अफलाकों में टहलती है
दिन अफ़सुर्दा
फ़लक से मुख़्तसर सी मुलाक़ात को तरसता है
ये रात इरादों की रात है
इस रात की अब कोई सुबह नहीं
दिन राहगीर, मंज़िल है जिसको नसीब
इस दिन का अब कोई सफर नही
No comments:
Post a Comment