Sunday, October 26, 2008

एक ख्याल

ऐसा क्यों है
जब जब मैं सोचता हूँ तुम्हे
तब तब तुम्हारे तसव्वुर में मेरा ख्याल उठता है|

अब साथ नही तो सही
हर बात तो अपने हक में नही
रब की मरज़ी के आगे कब कीसका बस चलता है|

2 comments:

Rishi said...

Invisible traces of love, stretching across both time and space.
Unfortunately,subject to the inverse square of distance,both in time and space!

BLUEGUITAR said...

:)