Thursday, May 13, 2010

Musings of a Vagrant Mind

Leisure

खिड़की के एक कोने से, ढलते सूरजों को आँखों में उतारना
फिर रातों में अकेले चलते, सपनों सा बहा देना

Persevering Futility

सोच के सायों के पर, गिर गिरके फडफडआते हैं
जो बात नहीं उस बात को ही, बस दोहराते जाते हैं

Familiarizing Unfamiliar

जानी पहचानी गलियों में, ठहरे आके मौसम अनजान
हाथ बढाकर हाथ मिलाएं, बिन चेहरों के कुछ इंसान

Reflections

सुई चुभाकर, फव्वारों सा, हर दिल हाल हवा करते हैं
बहते पानी में खींच लकीरें, तस्वीरों में पल भरते हैं

Oblivion

क्या मलाल दिल को, किस सूरज की आरज़ू
किन ख्वाबों की ये चुभन, ये खलिश, ये जुस्तजू

Relationships

चले गए जो सपने थे
साथ रहे, वो अपने थे

4 comments:

deep said...

:O wow...
amazing lines..
and the titles adding to the beauty.. :-)

BLUEGUITAR said...

Hey thanks, glad that you liked these lines :)

Nimish said...

बहोत खूब ! आखरी कविता बहोत सही लगी ।

BLUEGUITAR said...

@ Nimish

:) Shukriya.