भरे जहन में जब ज़हर जो कभी
फूल से लगने वाले भी कांटे बन जाते हैं
ज़िन्दगी में यारों ऐसे भी मुकाम आते हैं
उम्रभर संभाल रखे यादों के गुलदस्ते
एक पल में गिरके तमाम हो जाते हैं
ज़िन्दगी में यारों ऐसे भी मुकाम आते हैं
पड़ती है दिल-ओ-दिमाग पर ठोकर कुछ इस कदर
भीड़ में वीराने, वीरानो में शोर के मंज़र हो जाते हैं
ज़िन्दगी में यारों ऐसे भी मुकाम आते हैं
यह भी मैंने देख लिया नजदीकियों का हश्र
समझने से पहले नजदीकियों में फांसले आ जाते हैं
ज़िन्दगी में यारों ऐसे भी मुकाम आते हैं
चलते हैं अचानक ही जब इल्ज़ामात के अंधड़
कुछ पल में ही 'आप' 'तू' में बदल जाते हैं
ज़िन्दगी में यारों ऐसे भी मुकाम आते हैं।
3 comments:
Ultimate.....maja aa gaya....
:)
Thanks Sis :)
u have to write in roman for me to understand :)
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